सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा की ओर बड़ा क़दम: कालाश विवाह बिल
- इंटरनेशनल
- 01 Sep,2025

पेशावर अली इमरान चठ्ठा
खैबर पख़्तूनख़्वा (केपी) कैबिनेट की विधायी समिति ने ऐतिहासिक “कालाश विवाह विधेयक” के मसौदे को मंज़ूरी दे दी है। यह बिल अब आगामी सत्र में प्रांतीय विधानसभा में पेश किया जाएगा।
चित्राल की दूरस्थ घाटियों में रहने वाला कालाश समुदाय अपने प्राचीन आर्य विरासत, बहुदेववादी विश्वास, अनोखी भाषा और रंग-बिरंगे त्यौहारों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। इसके बावजूद, इस समुदाय के पास विवाहों की पंजीकरण व्यवस्था और सामाजिक-सांस्कृतिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए अब तक कोई क़ानूनी ढांचा नहीं था।
सामाजिक कार्यकर्ता और विधेयक के सह-लेखक क़मर नसीम ने इसे “आदिवासी अधिकारों के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि” बताया। उन्होंने कहा कि यह क़ानून न केवल कालाश लोगों की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को मान्यता देता है, बल्कि उनके इतिहास में पहली बार आधिकारिक विवाह पंजीकरण प्रणाली भी लागू करता है।
इस बिल के मसौदे में मुख्यमंत्री के अल्पसंख्यक मामलों के सलाहकार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NCHR), स्थानीय सरकार विभाग और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने योगदान दिया।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह कानून ऐसा तंत्र प्रस्तुत करता है जो कालाश समुदाय की परंपराओं और धार्मिक मूल्यों के अनुरूप है। इससे उनकी सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा होगी और उन्हें पाकिस्तान की क़ानूनी प्रणाली में औपचारिक पहचान मिलेगी।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह कानून देश की अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।
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