पंजाब बाढ़ संकट: मौतों का आँकड़ा 800 पार, राहत व बचाव कार्य जारी
- इंटरनेशनल
- 31 Aug,2025

तबाही मचाने वाली बाढ़ ने डुबोया पंजाब, पाकिस्तान की जलवायु असुरक्षा उजागर
लाहौर (नज़्राना टाइम्स) अली इमरान चठ्ठा
पाकिस्तान इस समय एक भीषण मानवीय त्रासदी से जूझ रहा है। अभूतपूर्व मूसलाधार बारिश से आई बाढ़ ने पंजाब प्रांत को तबाह कर दिया है। अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग बेघर हो चुके हैं, जो देश की जलवायु परिवर्तन के प्रति असुरक्षा को उजागर करता है।
यह संकट जून से जारी था लेकिन अगस्त 2025 के अंतिम हफ्तों में और गंभीर हो गया। भारी बारिश और भारतीय प्रशासित कश्मीर से बांधों का पानी छोड़े जाने के कारण चेनाब, रावी और सतलुज नदियाँ उफान पर आ गईं। परिणामस्वरूप 1,400 से अधिक गाँव जलमग्न हो गए, खेत, घर और पशुधन नष्ट हो गए।
राहत और बचाव अभियान
सरकार ने बड़े पैमाने पर राहत व बचाव कार्य शुरू किया है। पाकिस्तानी सेना लाहौर, सियालकोट और फैसलाबाद समेत आठ जिलों में नावों और हेलीकॉप्टरों की मदद से लोगों को सुरक्षित निकाल रही है और भोजन, तंबू व दवाइयाँ पहुँचा रही है।
रेस्क्यू 1122 भी सक्रिय है। चिचावतनी के पास घंटों पेड़ पर फंसे एक व्यक्ति को नाटकीय ढंग से बचाया गया — जो इस आपदा की भयावहता का प्रतीक है।
मानवीय और आर्थिक नुकसान
देशभर में मृतकों की संख्या 800 से अधिक हो चुकी है और आशंका है कि पानी उतरने के बाद यह और बढ़ेगी। आर्थिक रूप से नुकसान भी बहुत बड़ा है: कपास और धान जैसी प्रमुख फसलें नष्ट हो गईं, जबकि पशुधन के नुकसान से खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका पर संकट गहरा गया है।
सियालकोट ने पिछले 50 वर्षों की सबसे भारी बारिश झेली है, जिससे बुनियादी ढांचा बुरी तरह प्रभावित हुआ।
स्वास्थ्य आपातकाल
ऊपरी पंजाब में पानी घटने के साथ ही प्रांतीय सरकार ने स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। अस्पतालों को कॉलरा, टाइफाइड और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों के प्रकोप का डर है।
सितंबर की शुरुआत में सुलेमांकी और इस्लाम हेडवर्क्स (सतलुज नदी) क्षेत्र में और बाढ़ का खतरा जताते हुए "बहुत उच्च" चेतावनी जारी की गई है।
जलवायु न्याय और दीर्घकालिक योजना
इस तबाही ने एक बार फिर जलवायु न्याय की बहस को तेज कर दिया है। पाकिस्तान का वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में योगदान 1% से भी कम है, लेकिन वह सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल है।
प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने राहत कार्य तेज करने और सबसे नाज़ुक वर्ग तक मदद पहुँचाने के निर्देश दिए हैं। दीर्घकालिक समाधान के तौर पर छोटे बाँध, वनीकरण और बेहतर बाढ़ प्रबंधन प्रणाली जैसे उपायों पर विचार किया जा रहा है।
बाढ़ पीड़ित परिवारों के लिए पुनर्निर्माण की राह लंबी है, लेकिन सरकार, सेना और स्थानीय समुदायों की संयुक्त कोशिशें उम्मीद की किरण बनी हुई हैं।
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