पंजाब में ऐतिहासिक बाढ़: मुल्तान, लाहौर और अन्य शहर प्रभावित, राहत कार्य जारी

पंजाब में ऐतिहासिक बाढ़: मुल्तान, लाहौर और अन्य शहर प्रभावित, राहत कार्य जारी

पंजाब,1 सितंबर 2025 अली इमरान चठ्ठा 

पाकिस्तान के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत पंजाब को इतिहास की सबसे भयंकर बाढ़ों में से एक का सामना करना पड़ रहा है। सतलज, चिनाब और रावी नदियाँ खतरनाक स्तर तक बढ़ गई हैं, जिससे ग्रामीण और शहरी समुदायों में व्यापक तबाही हुई है। अधिकारियों का कहना है कि इस वर्ष की मानसूनी बाढ़ दशकों में सबसे विनाशकारी हो सकती है, जिससे लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और आजीविकाएँ बर्बाद हो गई हैं।

मुल्तान और दक्षिण पंजाब: संकट के मोर्चे पर

मुल्तान सबसे अधिक प्रभावित जिलों में से एक है, जहां चिनाब नदी का जल स्तर नियंत्रण से बाहर हो गया है। अधिकारियों ने शहर की सुरक्षा के लिए बांधों में नियंत्रित धमाके किए और ड्रोन्स से जल प्रवाह की निगरानी की जा रही है। बड़े पैमाने पर निकासी अभियान जारी है, लेकिन लोगों को भोजन, पशु चारे और चिकित्सा सुविधाओं की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है।

झंग,वहारी और चिचवटनी जैसे नजदीकी जिले भी बुरी तरह प्रभावित हैं, पूरे गाँव जलमग्न हो चुके हैं।

लाहौर, गुजरांवाला, वजीराबाद और झेलम: शहरी बाढ़ का दबाव

लाहौर में लगातार बारिश और बढ़ते नदी स्तर ने शहरी बाढ़ को जन्म दिया है, जिससे मुख्य सड़कें जलमग्न हो गई हैं और परिवहन बाधित हो गया है। जिन्नाह अस्पताल में पानी का रिसाव और संरचनात्मक दबाव दर्ज किया गया है।

गुजरांवाला और वजीराबाद में बाढ़ और बांधों के टूटने से आवासीय क्षेत्र डूब गए हैं, हजारों परिवार विस्थापित हुए हैं। झेलम भी नदी प्रणाली के दबाव में है, जिससे आसपास के गाँवों में बड़े पैमाने पर निकासी की जा रही है।

पंजाब में तबाही का पैमाना:

2,200 से अधिक गाँव जलमग्न

2 मिलियन लोग प्रभावित

कम से कम 33 मौतें

7 लाख से अधिक लोग सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित

500+ राहत शिविर स्थापित

राहत और बचाव कार्य

रिस्क्यू 1122, पाकिस्तान आर्मी और स्थानीय प्रशासन द्वारा बचाव कार्य जारी हैं। पशुधन बचाने को प्राथमिकता दी गई है, अब तक 400,000 से अधिक जानवर बचाए गए हैं।

सरकारी प्रतिक्रिया

पंजाब सरकार ने आपातकाल घोषित किया है। प्रांतीय मंत्री प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर भोजन और राहत सामग्री वितरित कर रहे हैं और निकासी अभियान की निगरानी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने जीवन, पशुधन और बांधों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया है।

एनजीओ और राजनीतिक दलों का सहयोग

सरकार के साथ-साथ एनजीओ और राजनीतिक दल भी राहत कार्य में जुटे हैं:

खिदमत फाउंडेशन (जमात-ए-इस्लामी) ने मेडिकल कैंप, भोजन वितरण केंद्र और स्वयंसेवी बचाव नेटवर्क स्थापित किया।

ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (APML) ने राहत सामग्री और तंबू भेजे, और निकासी में मदद की।

अन्य स्थानीय एनजीओ ने सामुदायिक रसोई, नाव बचाव और मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराईं।

युवा और छात्र संगठन भी दान जुटा रहे हैं और स्वयंसेवक टीमों का आयोजन कर रहे हैं।

आगामी चुनौतियाँ

भले ही राहत कार्य तेज़ हो रहे हों, भीड़-भाड़ वाले शिविरों में जलजनित रोगों जैसे डायरिया, मलेरिया और त्वचा संक्रमण का खतरा बना हुआ है। कृषि को भारी नुकसान हुआ है, हजारों एकड़ farmland नष्ट हुए हैं, जिससे भविष्य में खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि तत्काल बचाव महत्वपूर्ण है, लेकिन पाकिस्तान को दीर्घकालिक बाढ़ प्रबंधन, जलाशयों और जलवायु अनुकूलन पर निवेश करना होगा ताकि कमजोर समुदायों को बार-बार आपदा से बचाया जा सके।

निष्कर्ष

मुल्तान से लाहौर, गुजरणवाला से झेलम तक पंजाब ऐतिहासिक बाढ़ की चपेट में है। सरकार, एनजीओ और राजनीतिक दलों की संयुक्त प्रतिक्रिया ने अस्थायी राहत प्रदान की है, लेकिन तबाही के पैमाने को देखते हुए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। 2025 की बाढ़ ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान की जलवायु संवेदनशीलता के लिए त्वरित और प्रणालीगत समाधान जरूरी हैं।


Author: Ali Imran Chattha
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Posted By: TAJEEMNOOR KAUR
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