शांति और सद्भाव का संदेश: दो तख्त साहिबानों में विवाद खत्म
- धार्मिक
- 14 Jul,2025

श्री अमृतसर, 14 जुलाई:
सिख पंथ में लंबे समय से चल रहे एक अहम विवाद का आज शांतिपूर्ण और पंथक एकता के प्रतीक स्वरूप समाधान हो गया। श्री अकाल तख्त साहिब और तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब के बीच चले आ रहे मतभेद को आज पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। यह समाधान खालसा पंथ की व्यापक भलाई, पंथक एकजुटता और देश-विदेश में बसे सिख संगत की भावनाओं के मद्देनज़र किया गया।
श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जथेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गढ़गज्ज की अध्यक्षता में पाँच सिंह साहिबानों की एक विशेष बैठक श्री अकाल तख्त साहिब में हुई, जिसमें तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब से जुड़े मामलों पर चर्चा कर सहमति से फैसला लिया गया।
इस बैठक में ज्ञानी राजदीप सिंह, ज्ञानी सुल्तान सिंह, ज्ञानी केवल सिंह (सच्चखंड श्री हरमंदिर साहिब के ग्रंथी सिंह साहिबान), तथा तख्त श्री दमदमा साहिब के जथेदार भाई टेक सिंह शामिल हुए।
ज्ञानी गढ़गज्ज ने जानकारी दी कि 12 मई को तख्त श्री पटना साहिब प्रबंधक समिति की ओर से एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें श्री अकाल तख्त साहिब की सर्वोच्चता को स्वीकारते हुए सभी पिछले निर्णयों पर पुनर्विचार की अपील की गई थी। इस पत्र में समिति ने श्री अकाल तख्त साहिब के प्रति पूर्ण समर्पण का प्रण किया।
21 मई और 5 जुलाई 2025 को श्री अकाल तख्त साहिब में लिए गए फैसलों की पुन: समीक्षा करते हुए आज की बैठक में आवश्यक संशोधन किए गए। इसके साथ ही तख्त श्री पटना साहिब के पाँच सिंह साहिबानों ने भी श्री अकाल तख्त की सर्वोच्चता को मानते हुए अपने द्वारा पहले पारित किए गए प्रस्तावों को वापस ले लिया।
ज्ञानी गढ़गज्ज ने कहा कि वर्तमान समय सिख शक्ति को एकजुट करने का है और यह पंथक एकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि वे जल्द ही तख्त श्री पटना साहिब जाकर दसवें पातशाह जी के जन्म स्थान पर नतमस्तक होंगे।
इस बैठक में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया गया कि पांचों तख्त साहिबानों में से श्री अकाल तख्त साहिब, जिसे छठे पातशाह श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने स्थापित किया था, सर्वोच्च तख्त है, जबकि तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब, दसवें पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्मस्थान, सिखों के लिए अत्यंत सम्माननीय है।
तख्त श्री पटना साहिब प्रबंधक समिति द्वारा भेजे गए पत्र में पूर्व में लिए गए फैसलों पर पुनर्विचार का अनुरोध किया गया था, जिसे स्वीकार करते हुए पाँच सिंह साहिबानों की ओर से यह निर्णय लिया गया कि 21 मई को पास किया गया मता नं: 03 (जिसमें कुछ पंथक सेवकों पर रोक लगाई गई थी) को पूरी तरह रद्द किया जाता है।
इसके अतिरिक्त मता नं: 04 के अंतर्गत ज्ञानी रणजीत सिंह गौहर को निर्देशित किया गया है कि वे समिति के विरुद्ध अदालत में दायर केस वापस लें और समिति उन्हें उनके सेवाकाल के बकाया फंड का भुगतान नियमों के अनुसार करे। साथ ही सभी संबंधित व्यक्ति मीडिया या सोशल मीडिया पर कोई भी बयानबाजी न करें।
यह ऐतिहासिक कदम सिख समाज में एकता, भाईचारे और पंथक मर्यादा की पुन: स्थापना का प्रतीक बन गया है।
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