वृंदावन में गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत शताब्दी पर एसजीपीसी का गुरमत समागम

वृंदावन में गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत शताब्दी पर एसजीपीसी का गुरमत समागम

श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की 350वीं शहादत शताब्दी पर वृंदावन में शिरोमणि कमेटी का गुरमत समागम

अमृतसर, 22 सितम्बर ताजीमनूर कौर 

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की ओर से उत्तर प्रदेश के वृंदावन स्थित गुरुद्वारा गुरु नानक टिल्ला साहिब में श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहादत शताब्दी को समर्पित विशेष गुरमत समागम का आयोजन किया गया। एसजीपीसी अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी की ओर से धर्म प्रचार कमेटी के सचिव सरदार बलविंदर सिंह काहलवां और मीडिया सचिव सरदार हरभजन सिंह वक्ता ने विशेष रूप से शिरकत की।

इस अवसर पर सचिव सरदार बलविंदर सिंह काहलवां ने संगत के साथ विचार साझा किए। गुरुद्वारा श्री बंगला साहिब (दिल्ली) के हजूरी रागी भाई गुरमीत सिंह के जत्थे और बीबी मंजीत कौर के रागी जत्थे ने गुरबाणी कीर्तन से संगत को जोड़ा।

अपने संबोधन में सरदार बलविंदर सिंह काहलवां ने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहादत शताब्दी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए देशभर में नगर कीर्तन और गुरमत समागम आयोजित किए जा रहे हैं और यह क्रम निरंतर जारी रहेगा। यूपी सिख मिशन हापुड़ के इंचार्ज भाई बृजपाल सिंह ने संगत और सहयोग देने वाले सभी व्यक्तियों का धन्यवाद किया।

इस अवसर पर बाबा सतनाम सिंह (कार सेवा दिल्ली वाले), सरदार हरबंस सिंह, ज्ञानी मोहन सिंह (मथुरा), सरदार स्वर्ण सिंह, श्री मलिक अरोड़ा, सरदार सुरिंदर सिंह बाठ, ज्ञानी हरपाल सिंह, ज्ञानी महिंदर सिंह, सरदार मोहर सिंह, सरदार हरविंदर सिंह, सरदार गुरमेल सिंह (गुरुद्वारा इंस्पेक्टर) सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहे।

गौरतलब है कि वृंदावन (मथुरा) स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु नानक टिल्ला साहिब का इतिहास श्री गुरु नानक देव जी से जुड़ा है। अपनी पहली उदासी के दौरान गुरु नानक साहिब यहां आए और टिल्ले पर ठहराव किया। आज यह गुरुद्वारा सिख इतिहास की जीवंत निशानी है, जहां गुरु साहिब ने श्रद्धालुओं को जीवन के सच्चे उद्देश्य और परमात्मा के सिमरन द्वारा सच्चा जीवन जीने का उपदेश दिया।

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